अपने चारो ओर नजर दौड़ाने पर हमे विभिन्न प्रकार की वस्तुएं नजर आती है जिनका आकार आकृति एवं बनावट अलग अलग होती है इस विश्व में प्रत्येक वस्तु जिस सामग्री से बनी होती है उसे वैज्ञानिकों ने पदार्थ का नाम दिया जिस हवा में हम सांस लेते है । जो भोजन हम खाते है । पत्थर बादल , तारे ,पोधे एवं पशु यहां तक की पानी की एक बूंद या रेत का एक कण , सभी पदार्थ है । ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि उपर लिखी सभी वस्तुओं के मास होते है और ये कुछ स्थान घेरती है ।
प्राचीन काल से ही मनुष्य अपने आस पास को समझने का प्रयास करता रहा है । भारत के प्राचीन दार्शनिकों ने पदार्थ को पंच तत्व कहा गया ।
ये पंच तत्व है वायु , पृथ्वी , अग्नि , जल और आकाश ,उनके अनुसार इन्हीं पंच तत्व से सभी वस्तूए बनी होती है चाहे वो सजीव हो या निर्जीव उस समय के दार्शनिकों ने भी पदार्थ को इसी प्रकार वर्गीकृत किया है।
आधुनिक वैज्ञानिकों ने पदार्थ को भौतिक गुणधर्म एवं रासायनिक प्रकृति के आधार पर दो प्रकार से वर्गीकृत किया इस अध्याय में हम भौतिक गुणों के आधार पर पदार्थ के बारे में ज्ञान अर्जित करेंगे ।
पदार्थ का भौतिक स्वरूप ?
पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है
बहुत समय तक पदार्थ की प्रकृति के बारे में दो विचार धाराएं प्रचलित थी एक विचार धारा का यह मानना था कि पदार्थ लकड़ी के टुकड़ों की तरह सतत होते है परन्तु अन्य विचार धारा का मानना यह था कि पदार्थ रेत की तरह के कणों से मिलकर बने है।
एक क्रियाकलाप के आधार पर पदार्थ के स्वरूप के बारे में विचार करते है कि पदार्थ के कण सतत होते है या कनो से बने होते है ।
क्रियाकलाप
एक 100ml का बिकर ले इस बिकर को जल से आधा भरकर जल के स्तर पर निशान लगा दे
दिए गए नमक या शर्करा को कांच की छड़ की मदद से जल में घोल दे
जल के स्तर में आए बदलाव पर ध्यान दे
आपके अनुसार नमक या शर्करा का क्या हुआ ये कहा गायब हो गया ?
किया जल के स्तर में कोई बदलाव आया
इन प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए हमे इस विचार को स्वीकारना होगा कि सभी पदार्थ कणों से बने होते है उपर्युक्त क्रियाकलाप में चम्मच में रखी गई नमक या शर्करा अब पूरे पानी मै घुल गई
जब हम जल में नमक घोलते है तो नमक के कण जल के कणों के बीच रिक्त स्थानों में समावेशित हो जाते है ।
पदार्थ के ये कण कितने छोटे होते है ?
क्रियाकलाप
पोटेशियम परमेगनेट के दो या तीन कृष्टल को100ml पानी में घोल दे
इस घोल में से लगभग 10ml घोल निकालकर उसे 90ml जल में घोल दे
फिर इस उपरोक्त घोल में से 10ml निकालकर उसे भी 90ml पानी में मिला दे
इस प्रकार इस घोल को 5से 8 बार अनुकृत करे
अनुमान लगाए कि पदार्थ के कण कितने छोटे होते हैं प्रत्येक बार अनुकृत करने पर घोल का रंग हल्का होता जाता है फिर भी पानी रंगीन होता जाता है।
यह प्रयोग दर्शाता है कि पोटेशियम परमेगनेट के बहुत के बहुत थोड़े से कृश्टल से पानी की बहुत अधिक मात्रा भी रंगीन हो जाती है इससे हम ये निष्कर्ष निकाल सकते है कि पोटेशियम परमेगनेट के केवल एक कृष्टल में कई सूक्ष्म कण होंगे ये कण छोटे छोटे कणों से विभाजित होते रहते हैं अतः एक स्थिति में ये कण और छोटे भागो में विभाजित नहीं किए जा सकते है
पदार्थ के ये कण बहुत छोटे होते है इतने छोटे कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
पदार्थ के गुणों के अभिलाक्षणिक गुण ?
पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है ?
जब हम चाय या कॉफी या नींबू बनाते है तो एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ के कणों में समावेशीत हो जाते है यह दर्शाता है कि पदार्थ के कणों के बीच पर्याप्त रिक्त स्थान होता है ।
पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं?
क्रियाकलाप
अपनी कक्षा के किसी कोने में बुझी हुई अगरबत्ती रख दे इसकी सुगंध लेने के लिए आपको इसके कितने समीप जाना पड़ता है।
अब अगरबत्ती जला दे क्या होता है दूर से ही इसकी सुगंध आपको मिलती है
पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं अर्थात उनमें गतिज ऊर्जा होती है तापमान बढ़ने से कणों कि गति बढ़ती है इसलिए हम कह सकते है कि तापमान बढ़ने से कनोंकी गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाती है ।
पदार्थ के कण अपने आप ही एक दूसरे के साथ अंतः मिश्रित हो जाते है ऐसा कनो के रिक्त स्थानों में समावेश के कारण होता है दो विभिन्न प्रकार के कणों का स्वतः मिलना ही विसरण कहलाता है ।
पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते है?
पदार्थ के कणों के बीच एक बल कार्य करता है यह बल कणों को एक साथ रखता है इस आकर्षण बल का सामर्थ्य प्रत्येक पदार्थ में अलग अलग होता है ।
पदार्थ की अवस्थाए ?
अपने आस पास के पदार्थो को ध्यान से देखे ये कितने प्रकार के है हम पाते है कि पदार्थ अपने तीन रूप में होता है ठोस द्रव और गैस पदार्थ की ये अवस्थाएं उसके कणो की विभिन्न विशेषताओं के कारण ही होता है
ठोस अवस्था -
इन सभी का एक निश्चित आकार , स्पष्ट सीमाएं तथा स्थिर आयतन यानी नगन्य संपीड़यता होती है बाह्य बल लगाने पर भी ठोस अपने आकार को बनाए रखते है बल लगाने पर ठोस टूट सकते है लेकिन इनका आकार नहीं बदलता है इसलिए दृद होते है
द्रव अवस्था -
द्रव का आकार नहीं लेकिन आयतन निश्चित होता है जिस बर्तन में इन्हे रखा जाए तो ये उसी का आकार ले लेते है द्रवो में बहाव होता है और इनका आकार बदलता है इसलिए ये दृढ़ नहीं तरल होते है ।
ठोस और द्रव का विश्रण द्रवो में संभव है वातावरण को गैसे विसृत होकर जल में घुल जाती है ये गैसे विशेषतः ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड जलिय जंतु तथा पोधो के लिए अनिवार्य होती है सभी जीव धारी अपने जीवन निर्वाह के लिए श्वास लेते है जलीय जंतु जल में घुली ऑक्सीजन के कारण श्वास लेते है इस तरह से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि द्रव में ठोस द्रव और गैस तीनों का विसरन संभव है ।
गैसीय आवस्था -
आपने कभी उस गुब्बारे वाले पर ध्यान दिया होगा जो गैस के एक ही सिलेंडर से बहुत सारे गुब्बारों में हवा भरता है ।
ठोस एवं द्रव कि तुलना में गैसों कि संपीदयता काफी अधिक होती है हमारे घरों में खाने बनाने में उपयोग की जाने वाली द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस या अस्पतालों में दिए जाने वाले ऑक्सीजन सिलेंडर संपीडित गैस होती है आजकल वाहनों ईंधन के रूप में संपिडित प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है
गैसों का आकार वा आयतन आनिष्चित होता है ।
तापमान परिवर्तन का प्रभाव -
ठोस के कणों का तापमान बढ़ाने पर उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है गतिज ऊर्जा में वृद्धि होने के कारण कण अधिक तेजी से कम्पन करने लगते है उष्मा के द्वारा प्रदत्त की गई ऊर्जा कणों के बीच के आकर्षण बल को पार कर लेती है इस कारण कण अपने नियत स्थान को छोड़कर अधिक स्वतंत्र होकर गति करने लगते है एक अवस्था ऐसी आती है जब ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाते है
जिस न्यूनतम तापमान पर ठोस पिघलकर द्रव बन जाते है वह इसका गलनांक कहलाता है ।
किसी ठोस के गलने कि प्रक्रिया में तापमान समान रहता है ऐसे में उष्मिए ऊर्जा कहा जाती है ?
गलने के प्रयोग की प्रक्रिया के दौरान आपने ध्यान दिया होगा कि गलनानक पर पहुंचने के बाद जब तक सम्पूर्ण बर्फ पिघल नहीं जाती तापमान नहीं बदलता बिकर को ऊष्मा प्रदान करने के बावजूद भी ऐसा ही होता है कणों के पारस्परिक आकर्षण बल को वशीभूत करके पदार्थ कि अवस्था को बदलने में इस ऊष्मा का उपयोग होता है चुकी तापमान में बिना किसी तरह की वृद्धि दर्शाए इस उष्मिये ऊर्जा को बर्फ अवशोषित कर लेती है यहां माना जाता है कि ये बिकर में ली गई सामग्री में छुपी रहती है जिसे गुप्त ऊष्मा कहते है यहां गुप्त का अभिप्राय छुपी हुई ऊष्मा से है
दाब परिवर्तन का प्रभाव
दाब के बढ़ने और तापमान के घटने से गैस द्रव में बदल जाती है ।
वाष्पीकरण -
पदार्थ की अवस्था बदलने के लिए किया सदैव ऊष्मा देना या दाब बदलना आवश्यक है
जल को खुला छोड़ देने पर यह धीरे धीरे वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। गीले कपड़े सूख जाते है पदार्थ के कण हमेशा गतिशील होते है कभी रुकते नहीं है
वास्पिकरण उस घटना को कहा जाता है जिसमें किसी द्रव के कण अपने कथनांक के नीचे गैस में बदल जाता है ।
वस्पिकरण को प्रभावित करने वाले कारक ।
वास्पीकरण एक सतह कि प्रक्रिया है सतह छेत्र बढ़ने पर
वस्पिकरण कि दर भी बढ़ जाती है
तापमान पढ़ने पर अधिक कणों को प्रयाप्त गतिज ऊर्जा मिलती है जिससे वे वास्पिकृत हो जाते है
वायु में विद्यमान जल वास्प कि मात्रा को आद्रता कहते है किसी निश्चित तापमान पर हमारे आस पास की वायु में एक निश्चित मात्रा में ही जल वाष्प होता है जब वायु में पहले से ही जल कणों की मात्रा अधिक होती है तो वस्पिकरण कि दर घट जाती है ।
तेज़ वायु में कपड़े जल्दी सूख जाते है वायु के तेज़ होने से जलवास्प के कण वायु के साथ उड जाते है जिससे आस पास के जलवस्प कि मात्रा घट जाती है ।
वस्पिकरण के कारण शीतलता कैसे होती है
यदि हम जल को छत पर खुला छोड़ दे तो उसका वाष्पीकरण स्वतः होता रहता हैं
वाष्पीकरण के दौरान कम हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए द्रव के कण अपने आस पास से ऊर्जा अवशोषित कर लेते है जिससे आस पास के कणों का तापमान कम हों जाता हैं। इस तरह आस पास से ऊर्जा के अवशोषित होने के कारण शीतलता हो जाती है ।
जैसे एसीटोन या पेट्रोल को त्वचा पर गिराने से एसीटोन हमारी त्वचा से ऊर्जा अवशोषित कर लेता हैं और वाष्प में बदलकर उड़ जाता हैं । तथा हमारी त्वचा के उस स्थान पर तापमान कम होने से हमे शीतलता महसूस होती हैं । इसका एक उदाहरण भी आपने जरूर देखा होगा , गर्मियों के दिनों में कुछ लोग अपने घरों की छतों पर जल डालते है जिससे जल वाष्प में बदल जाता हैं तथा छत शीतल हो जाती हैं ।
गर्मियों में सूती कपड़े क्यों पहनने चाहिए ।
शारीरिक प्रक्रिया के कारण गर्मियों में हमे ज्यादा पसीना आता है जिससे हमे शीतलता मिलती है जैसा कि ह जानते है पसीना हमारे शरीर से ऊर्जा अवशोषित करके वाष्पित हो जाता हैं और हमारा शरीर शीतलता महसूस करता हैं । चूंकि सूती कपड़े जल को जल्दी अवशोषित कर लेते है जिस कारण जल या पसीना जल्दी वाष्प में बदलकर हमे शीतलता महसूस कराता हैं इसलिए गर्मियों में सूती कपड़े पहनने चाह
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