12th physics का पहला चैप्टर कुलाम का नियम तथा विद्युत क्षेत्र
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विद्युत आवेश –
विद्युत आवेश किसी पदार्थ का वह गुण है ‘ जिसके कारण पदार्थ को विद्युत क्षेत्र में रखे जाने पर पदार्थ आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण का अनुभव करता हैं विद्युत आवेश कहलाता है विद्युत आवेश दो प्रकार का होता है 1. धनावेश 2. ऋणावेश
धनावेश –
यदि पदार्थ को विद्युत क्षेत्र में रखे जाने पर
वह प्रतिकर्षित होता है | तो पदार्थ पर उपस्थित आवेश को धन आवेश कहते हैं
ऋणावेश -
यदि पदार्थ को विद्युत क्षेत्र में रखे जाने पर
वह आकर्षित होता है | तो पदार्थ पर उपस्थित आवेश को ऋण आवेश कहते हैं
विद्युत आवेश का संरक्षण –
वद्युत आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और
ना ही नष्ट किया जा सकता है | जा दो वस्तुयों को आपस रगडा जाता हैं तो उन दोनों
वस्तुओ पर कुल आवेश शून्य होता हैं | विद्युत आवेश संरक्षण का सिद्धांत कहलाता हैं
|
मूल आवेश –
किसी पदार्थ में उपस्थित आवश की वह न्यूनतम
मात्रा जिसे विभाजित नही किया जा सकता हैं | मूल आवेश कहलाता हैं इसे e से दर्शाते
हैं एक इलेक्ट्रान पर आवेश
कूलाम –
यदि किसी चालक में 1
एम्पियर की विद्युत धारा 1 सेकंड तक प्रवाहित की जाए तो चालक से गुजरने वाला आवेश
1 c होगा |
कुलाम का नियम –
दो स्थिर बिंदु आवेशो q1 वा q1 के बीच लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण का बल F दोनों आवेशो के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनकी बीच की दुरी r के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता
अध्द्यारोपन का सिद्धांत-
यदि किसी निकाय में अनेक
आवश हो तो उनमे से किसी एक आवेश पर बल अन्य आवेशो के कारण अलग अलग बालो के वेक्टर
योग के बराबर होता हैं इसे अद्ध्यारोपन का सिद्धांत कहते हैं |
विद्युत बल रेखाए –
विद्युत क्षेत्र में खीचा
गया वह काल्पनिक व निष्कोंन वक्र जिस पर एक स्वतंत्र अ प्रथ्क्कृत अकांक धन आवश
चलता हैं | विद्युत बल रेखाए कहलाती हैं | वद्युत बल रेखा के किसी भी बिंदु पर
खिची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर स्थित धन आवश पर लगने वाले बल की दिशा को
प्रदर्शित करती हैं |
विद्युत बल रेखाओ के गुण -
ये रेखाए धन आवेश से चलकर ऋण आवेश पर समाप्त होती हैं |
बल रेखा के किसी भी बिंदु पर
खीजी गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर धन आवेश पर लगने वाले बल की दिशा को प्रदर्शित
करती है |
कोई भी बल रेखाए परस्पर काट नहीं सकती हैं क्योंकि उस दशा में कटान बिंदु पर
दो दो स्पर्श रेखाए खिंची जा सकती हैं जो उस बिंदु पर बल की दो दिशाए पर्दर्शित
करेंगी जो की असंभव हैं |
ये रेखाए अपनी लम्बाई की लम्बवत दिशा में एक दुसरे से दूर हटने का पर्यत्न
करती हैं इसी कारण सामान आवेशो में प्रतिकर्षण होता हैं |
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
– विद्युत क्षेत्र में किसी
बिंदु पर रखे परिक्षण आवेश पर लगने वाले बल तथा परिक्षण आवेश के अनुपात को उस
बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं | इसे E से दर्शाते हैं इसका मात्रक
N/c हैं E = F/q०
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की विमा
किसी बिंदु आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
माना की किसी +q आवेश से r दुरी पर एक बिंदु p है जिसपर परिक्षण आवेश q० स्थित
है इस बिंदु p पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी हैं | +q आवेश के कारण
परिक्षण आवेश q० पर लगने वाला बल F हैं
विद्युत द्विध्रुव
विद्युत द्विध्रुव वह निकाय है जिसमे दो बराबर परन्तु विपरीत आवेशो में से
किसी एक आवेश तथा उनके बीच की अल्प दुरी 2l के गुणनफल के बराबर होता हैं | इसे P
से दर्शाते हैं | इसका मार्तक कूलाम/मीटर हैं P = 2ql
विद्युत द्विध्रुव के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
विद्युत क्षेत्र की अक्षीय स्थिति में किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
माना की एक विद्युत द्विध्रुव AB एक
ऐसे माध्यम में उपस्थित हैं जिसका परावैधयुतांक k हैं विद्युत द्वि ध्रुव –q तथा
+q आवेशो से बना हैं जिनके बीच की अल्प दुरी 2l हैं | विद्युत द्वि ध्रुव के मध्य
बिंदु O से r मीटर की दुरी पर एक अन्य बिंदु p है जिसपर विद्युत क्षेत्र की
तीव्रता ज्ञात करनी हैं |
माना की विद्युत द्वि ध्रुव के आवेशो +q तथा –q आवेशो के कारण विद्युत क्षेत्र
की तीव्रता क्रमशः E1 वा E2 है
बिंदु p की आवेश +q से दुरी (r – l) तथा बिंदु p की आवेश –q से दुरी (r + l )
है
1 टिप्पणियाँ
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