दोस्तों अष्टक नियम
के बारे में chemistry सब्जेक्ट में जरूर सुना होगा | क्योंकि ये नियम तत्व के
वर्गीकरण के लिया बहुत ज्यादा important नियमो में से एक नियम है | तत्व का
वर्गीकरण इस नियम के अलावा संभव नहीं | इसलिए आज की हमारी ये पोस्ट से टॉपिक से
रिलेटेड होने वाली हैं | अष्टक नियम क्या होता है ? अष्टक नियम के महत्व ? और अष्टक
नियम के अपवाद क्या हैं ? आज इन्ही टॉपिक्स के बारे में जाने वाले है इसलिए आप जानना
चाहते हैं तो इस पोस्ट को कम्पलीट रीड कीजियेगा |
अष्टक नियम क्या है |
ashtak niyam kya hai
अष्टक नियम के महत्व
अष्टक नियम के अपवाद क्या
हैं
अष्टक नियम क्या है | ashtak niyam kya hai
1916 में कोसेल तथा
लुईस ne संयोजकता के आधुनिक सिद्धांत का प्रतिपादन किया इस सिद्धांत के अनुसार
परमाणुओं के मध्य रासायनिक संयोग का कारण परमाणुओं द्वारा इलेक्ट्रोन को खोकर
,प्राप्त करके या साझा करके निकटतम उत्कृष्ट गैस का स्थाई इलेक्ट्रोनिक विन्यास
प्राप्त करने की प्रवृति हैं | उत्कृष्ट गैसों के परमाणु सर्वाधिक स्थाई माने जाते
हैं क्योंकि ये आसानी से क्रिया नही करते हैं इस आसामान्य स्थायित्व का कारण इनके
बाह्य स्तर में 8 इलेक्ट्रोन का s2p6 विन्यास हैं |
उत्कृष्ट गैसों में
8 इलेक्ट्रोनो या इलेक्ट्रोनो के अष्टक का विन्यास स्थाई होता हैं | उसी प्रकार जब
अन्य तत्व के परमाणु परस्पर संयुक्त होकर अनु बनाते है तब इनके बाह्यतम कोश में
उपस्थित इलेक्ट्रोन इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं की वे इलेक्ट्रोनो का अष्टक
प्राप्त कर सके | अतः परमाणुओं के मध्य रासायनिक बंध स्थापित हो जाता हैं |
परमाणुओं के बाह्य कोश में 8 इलेक्ट्रोनो के रखने के प्रवृति अष्टक नियम या आठ का
नियम कहलाती हैं |
helium परमाणु में
केवल दो इलेक्ट्रोन होते हैं इसलिए इसके संधर्म में इस नियम को दो का नियम कहते
हैं |
संयोजकता का इलेक्ट्रोनिक सिद्धांत
अष्टक नियम एक नियम
के रूप न देकर एक सिद्धांत के रूप में दिया गया है | जिसे फ्यूचर में बदला जा सकता
हैं या नही भी | संयोजकता सिद्धांत के अनुसार “रासायनिक आबंधन के बनने में परमाणु
इलेक्ट्रोनो को खोकर .प्राप्त करके या साझा करके इस प्रकार अन्ययोन्य क्रिया करते
हैं जिससे की वे 8 इलेक्ट्रोनो का स्थाई बाह्यतम कोश प्राप्त कर सके | इसे अष्टक
नियम भी कहते हैं
संयोजी इलेक्ट्रोन
रासायनिक आबंध किसी
इलेक्ट्रोन के बाह्य उर्जा कोश में उपस्थित इलेक्ट्रोनो की संख्या पर निर्भर करते
हैं | इन इलेक्ट्रोनो को संयोजी इलेक्ट्रोनो कहते हैं |
जी.एन.लुईस. ne
परमाणु के संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रोनो को प्रदर्शित करने के लिए सरल
प्रतीक स्थापित किया | बाह्य कोश में उपस्थित इलेक्ट्रोनो को तत्व के प्रतीक के
चारो ओर बिन्दुओं से दर्शाते हैं | इन प्रतिको को लुईस प्रतीक या इलेक्ट्रोन बिंदु
प्रतीक कहते हैं |
सह्संयोजी आबंध की लुईस संरचना
सह्संयोजी योगिको की
लुईस संरचना अणुओं के निर्माण तथा उनके गुणों को समझने में सहायक हैं | इसे कुछ
point के चाहिए से समझा जा सकता हैं |
·
तत्व में संयुक्त होने वाले
इलेक्ट्रोनो की कुल संख्या की गणना करते हैं
·
ऋण आयन में ऋण आवेश की संख्या
को एल्क्ट्रोनो के साथ जोड़ते है तथा धन आवेश की संख्या को घटाते हैं |
·
संयुक्त होने वाले परमाणुओं
को भली भांति समझकर अनु की संरचना बानाई जाती हैं | अतः वे परमाणु जो अन्य
परमाणुओं के साथ अशिकतम आबंध बानाते है केन्द्रीय परमाणु के रूप में लिखा जाता हैं
| एकल बंध को दर्शाने के लिए एक साझे के इलेक्ट्रोन को दोनों परमाणुओं के बीच में
रखते है |
हाइड्रोजन परमाणु का निर्माण
जब दो हाइड्रोजन परमाणु आपस में क्रिया करता है | तो दोनों हाइड्रोजन के एक एक
इलेक्ट्रोन साझे के इलेक्ट्रोन युग्म बनाते हैं दोनों परमाणुओं को इस तरह से
व्यास्थित किया जाता हैं की दोनों साझे के इलेक्ट्रोन दोनों परमाणुओं में स्थित
रहे इस साझे के इलेक्ट्रोन युग्म पर दोनों परमाणुओं का सामान अधिकार होता हैं | प्रत्येक
हाइड्रोजन परमाणु helium का स्थाई इलेक्ट्रोनिक विन्यास प्राप्त कर लेता हैं |
अष्टक नियम के महत्व
पहले के समय में ये
समझ पाना बहुत मुश्किल था की दो परमाणु या तत्व आपस में क्रिया क्यों करते है |
इसलिए इस नियम से पहले भी कई वैज्ञानिको ne तत्व की क्रिया समझाने के लिए अलग अलग
विचार दिए लेकिन सभी में कुछ न कुछ कमी झलकती थी |
अष्टक नियम आने के
बाद सभी डाउट क्लियर हो गए दो तत्व आपस में क्रिया क्यों करते हैं इस कांसेप्ट को
अष्टक नियम ne सफलतापूर्वक समझा दिया | लेकिन इसके बावजूद भी अष्टक नियम के कुछ
अपवाद है जो की अष्टक नियम का पालन नहीं करते है |
अष्टक नियम के अपवाद क्या हैं
अष्टक नियम aprox
सभी अणुओं की संरचना को समझाने में योग्य है लेकिन फिर भी इसके कुछ ऐसे अपवाद है
जिन्हें ये नियम नहीं समझा सका |
हाइड्रोजन द्वारा निर्मित होने वाले अणु
·
हम जानते हैं की हाइड्रोजन
में एक इलेक्ट्रोन युक्त एक कोश होता है इसलिए इसे अपने इस कोश को पूर्ण करने के
लिए एक इलेक्ट्रोन के जरूरत होती हैं ताकि
यह अपने निकटम उत्कृष्ट गैस helium का इलेक्ट्रोनिक विन्यस प्राप्त कर सके
| अतः हाइड्रोजन अपना कोश पूर्ण करता हैं | ना की अष्टक नियम का पालन करता हैं |
·
अष्टक नियम कुछ स्थाई
यौगिको BeCl2,BF3,AlCl3 आदि को समझाने में
अयोग्य रहा क्योंकि इनमे केन्द्रीय परमाणु का अष्टक अपूर्ण हैं इनके संयोजी को में
8 इलेक्ट्रोन से कम इलेक्ट्रोन उपस्थित हैं |
·
ऐसे बहुत से यौगिक है जिनके
संयोजी कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रोन है जिन्हें अष्टक नियम नही समझा सका जैसे PF5 ,SF6, IF7, आदि
·
यह नोटिस किया गया है की
अष्टक नियम उत्कृष्ट गैसों की रासायनिक अक्रियाशीलता पर आधारित हैं जबकि यह देखा
गया है की कुछ आक्रिय या उत्कृष्ट गैसे
जैसे जीनोन था क्रिप्टोन oxygen तथा फ्लुओरिन से क्रिया करके कई योगिक बानाती है |
Conclusion
दोस्तों इस पोस्ट
में हमने अष्टक नियम क्या है | ashtak niyam kya hai के बारे में आपको
कम्पलीट जानकारी दी है | अब भी यदि इस टॉपिक से रिलेटेड आपके दिमाग में कोई डाउट
हो तो आप हमें कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं | हम निश्चित ही आपके प्रश्न के
answer करेंगे | और इस पोस्ट को शेयर करना मत भूलना हम मिलते है आपसे अगली बेहतरीन
पोस्ट में तब तक के लिए अलविदा ..
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