प्रकाश संश्लेषण क्या हैं ?||प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं (prakash sanshleshan kya hai )

 

आप सभी ne सुना होगा की सभी पादप जीवित होते हैं (जीवित यानी जो खाना खाते हैं , सांस लेते हैं आदि ) सभी पेड़ पोंधे वृक्ष , सभी प्रकार के पोंधे पादपो में आते हैं | यानी इनके अन्दर पादप कोशिकाए होती हैं | कोशिका दो प्रकार की होती हैं एक जंतु कोशिका और दूसरे पादप कोशिका , जंतु कोशिकाओ से बने सभी जीव जैसे मनुष्य , पशु , कीट आदि अपना भोजन प्राप्त करने के लिए दूसरो पर निर्भर रहते हैं जैसे मनुष्य अपना भोजन धरती से प्राप्त करते हैं वैसे ही सभी जंतु कोशिकाओ से बने जीव अपना भोजन पृथ्वी से ही प्राप्त करते हैं | लेकिन पादप कोशिकाओ से बने जीव  अपना भोजन कैसे बनाते हैं | आज के इस लेख में हम यही जानने वाले हैं | प्रकाश संश्लेषण का चित्र ?

 

 

 

 

प्रकाश संश्लेषण क्या हैं ?

प्रकाश संश्लेषण का सूत्र वा समीकरण ?

प्रकाश संश्लेषण कब होता हैं ?

प्रकाश संश्लेषण में पर्णहरित की क्या भूमिका हैं ?

प्रकाश संश्लेषण का महत्व ?

प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए पौधे Co2 कहाँ से प्राप्त करते हैं ?

पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रकाश संश्लेषण होता हैं ?

प्रकाश संश्लेषण में रंगों का क्या कार्य हैं ?

 

 

प्रकाश संश्लेषण क्या हैं ?

प्रकाश संश्लेषण हरे पोंधो में होने वाली एक उपचयित अभिक्रिया हैं | जिसके द्वारा आकर्बनिक सरल पदार्थो , जल तथा कार्बन डाईओक्साइड को प्रकाश की ऊर्जा के द्वारा कार्बोहाइड्रेटस के रूप में बदल दिया जाता हैं | प्रकाशीय ऊर्जा का उपयोग क्लोफिल की उपस्थिति में किया जाता हैं | इसमें oxygen उत्पाद के रूप में निकलता हैं |

प्रकाश संश्लेषण का सूत्र वा समीकरण ?

 

 

6CO2     +    12H2O  + क्लोरोफिल + सूर्य का प्रकाश = C6H12O6C +6O2 +6H2O

सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को उपयोग में लेना तथा जल के विच्छेदन से हाइड्रोजन उपलब्ध कराने के लिए ये क्रिया प्रकाश की उपस्थिति में हरितलवक के अन्दर उपस्थित ग्रेना नामक कणों में होती हैं | इन कणों में क्लोरोफिल होता हैं यह क्रिया निम्न पदों में होती हैं |

·         सूर्य के प्रकाश की विकिरण ऊर्जा के कारण क्लोरोफिल के अणु सक्रिय हो जाते हैं और  उत्तेजित इलेक्ट्रॉन्स का निष्कासन करते हैं |

·         सक्रीय क्लोरोफिल की मौजूदगी में जल आवश्यक ऊर्जा ग्रहण कर अपना विच्छेदन करता हैं |

·         उत्तेजित इलेक्ट्रोन एक विशेष तंत्र , जिसे इलेक्ट्रान स्थानान्तरण तंत्र कहते हैं के द्वारा अपनी ऊर्जा दे देता हैं इस ऊर्जा को ADP के अणुओ में एक फोस्फेट गुट और जोड़कर संचित कर लिया जाता हैं |

·         प्राप्त oxygen पोंधो से बाहर निकल जाती हैं |

·         प्राप्त हाइड्रोजन NADP नामक ग्राही द्वारा एकत्रित कर ली जाती हैं इसमें NADP.2H का निर्माण होता हैं |

 

 

अप्रकाशिय अभिक्रिया

इन क्रियाओ के लिए प्रकाश की जरूरत नही हैं | इन अभिक्रियाओ को इनकी खोज करने वाले साइंटिस्ट के नाम के आधार पर ब्लैकमैन अभिक्रिया कहते हैं | ये क्रियाये हरित लवक के स्ट्रोमा में होती हैं संक्षेप में इन अभिक्रियाओ को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाता हैं |

·         कुछ विशेष पदार्थो की उपस्थिति में वातावरण से प्राप्त CO2 का प्रकाशीय क्रियाओ से प्राप्त NADP.2H के H+ आयन से अवकरण होता हैं और PGAL नामक पदार्थ बनता हैं इसमें निम्नलिखित अभिक्रिय सम्मिलित हैं |

·         5 carbon वाले योगिक RUBP ( रिबुलोस बाईफोस्फेट ) के साथ carbon डाईऑक्साइड के अणु मिलकर एक 6 carbon अस्थाई योगिक का निर्माण करते हैं |

6RUBP  + 6CO2  + एंजाइम + जल = 6C6 योगिक ( अस्थाई )

यह अस्थाई योगिक शीघ्र ही अपचयित होकर वा टूटकर दो अणु PGA बना लेता हैं |

6C6   योगिक + H+ ==== 12(3PGA)

·         PGA बाद में और अधिक अपचयित होकर PGAL का निर्माण करता हैं |

·         PGAL के दो अणु मिलकर तथा उपचयन के द्वारा फोस्फेट शर्करा का तथा बाद में शर्करा का निर्माण कर लेते हैं

·         PGAL स्वयं भी भोजन की तरह कार्य कर सकता हैं यह तीन कार्बन वाला योगिक हैं इसके दो अणु मिलकर पहले एक अणु ग्लूकोस का निर्माण करते हैं |

2C3H5O3  + 2H  ===== C6H12O6

 

 

ग्लूकोस से ही अन्य सभी प्रकार के भोज्य पदार्थो का निर्माण पोंधो के अन्दर ही हो पाता हैं |

 

प्रकाश संश्लेषण में CO2 की आवशयकता ?

प्रकाश संश्लेषण का उत्पाद कार्बोहाइड्रेट हैं | यह CO2 क स्वांगीकरण से प्राप्त होता हैं | यह जानने के लिए की CO2 प्रकाश संश्लेषण में आवश्यक है कि नही इसके लिए यह देखना होगा कि CO2 की अनुपस्थिति में यह देखना होगा कि कार्बोहाइड्रेट बनता हैं | या नही | इसके लिए मोल की आधी पत्ती का प्रयोग करते हैं |

एक जोड़े मुह की बोतल में एक पोंधे की पत्ती को इस प्रकार फिट करते हैं कि बाहर के वातावरण से पत्ती का कोई संपर्क ना हो बोतल में KOH डाल देते हैं अब इस पोंधे को सूर्य के प्रकाश में रख देते हैं कुछ समय पश्चात् प्रकाश संश्लेषण की स्थिति का पता करने के लिए उस पत्ती का कार्बोहाइड्रेट चेक करते हैं | परीक्षण से ज्ञात होता हैं कि पत्ती का वह भाग जो बोतल के अन्दर था उसमे कार्बोहाइड्रेट नही बना  हैं |बोतल में पत्ती के भाग को CO2 नही मिली अन्य सभी कारक मोजूद थे | इससे यह ज्ञात होता हैं की प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 की आवशयकता होती हैं |

 

प्रकाश संश्लेषण में O2 का निश्काषण?

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में हरे पोंधे सौर ऊर्जा तथा पर्णहरित की उपस्थिति में CO2 तथा जल का प्रयोग करके कार्बोहाइड्रेट तथा oxygen बनाते हैं |

इस प्रयोग में जो उपकरण प्रयोग किया जाता हैं use विलमाट बब्लर कहते हैं | सामान्यतः एक बीकर के पानी में जलिए पोंधा जैसे हाईड्रिला लेते हैं उस पैर एक कीप उल्टा धक देते हैं कीप की नली के उपर पानी से भरी एक परखनली उलटी धक देते हैं इस बात का ध्यान रखते  हैं कि उसमे किसी प्रकार से वायु प्रवेश न कर पाए और उपकरण को धुप में रखते हैं कुछ समय पश्चात् कीप की नली में बुलबुले उठते दिखाई देते हैं धीरे धीरे परखनली में गैस एकत्र होने से इसमें उपर खाली जगह बनने लगती हैं परिक्षण करने से पता चलता हैं कि यह गैस oxygen हैं |

 

प्रकाश संश्लेषण कब होता हैं ?

 

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए सूर्य के प्रकाश की आवशयकता होती हैं | पेड़ पोंधे artificial light की उपस्थिति में अपना भोजन नही बना सकते हैं | इसलिए पेड़ पोंधो को सूर्य के प्रकाश की आवशयकता होती हैं | इसलिए सभी पेड़ पोंधे दिन के समय अपने भोजन का निर्माण करते हैं | तथा रात के समय कार्बन डाई ऑक्साइड गैस को खीचते हैं |

 

 

प्रकाश संश्लेषण में पर्णहरित की क्या भूमिका हैं ?

प्रकाश संश्लेषण में पर्णहरित यानी क्लोरोफिल की महत्वपूर्ण भूमिका हैं | पर्णहरित पत्तियों को हरा रंग प्रदान करता हैं पेड़ पोंधे इसी पर्णहरित की उपस्थिति में पत्तियो द्वारा भौजन बना पाते हैं | क्योंकि जब सूर्य की किरने पर्णहरित की उपस्थिति में कार्बन डाई ऑक्साइड तथा जल के साथ ग्लूकोस का निर्माण करती हैं | तभी पेड़ अपना भोजन बना पाते हैं |  यदि पर्ण हरित न हो तो पेड़ की पत्तियां भोजन का निर्माण नहीं कर सकती हैं | इसका उदहारण हैं जब किसी पेड़ की पत्तियां सूख जाती हैं तो वे पेड़ के किसी काम की नही रहती हैं | क्योंकि उनके अन्दर का क्लोरोफिल ख़त्म हो जाता हैं |

 

प्रकाश संश्लेषण का महत्व ?

प्रकाश संश्लेषण की निम्नलिखित महत्व हैं |

प्रकाश संश्लेषण के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हैं क्योंकि जब पेड़ पोंधे अपना भोजन का निर्माण करता हैं तो उत्पाद के साथ वह oxygen का भी निर्माण करते हैं | oxygen जीवन को जीने के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं oxygen की बिना कोई भी सजीव जिन्दा नही रह सकता हैं | इसलिए हम कह सकते हैं कि प्रकाश संश्लेषण की कारण ही पृथ्वी पर oxygen मोजूद हैं |

 

मनुष्य या सजीव अपना भोजन पढ़ पोंधो से ही बना पाते हैं | यदि पेड़ पोंधो में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बंद हो जाये तो उनमे उत्पन्न होने वाले भोज्य पदार्थ नष्ट हो जायेंगे और जंतु अपना भोजन नही बना पाएंगे |

 

 

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पृथ्वी पर मोजूद कार्बन डाई ऑक्साइड CO2 का इस्तेमाल हो जाता हैं जिस कारण पृथ्वी CO2 की मात्रा कम हो जाती हैं | जो हमारे लिए बहुत ज्यादा आवश्यक हैं |

 

 

 

प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए पौधे Co2 कहाँ से प्राप्त करते हैं ?

प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड यानि CO2 की आवशयकता होती हैं | लेकिन पेड़ पोंधे कार्बन डाई ऑक्साइड कहाँ से लेते हैं | इसका answer हैं जंतु जैसे मनुष्य सांस लेते हैं यानी oxygen ग्रहण करते हैं | तो जन्तुओ के अंदर होने वाली  कुछ रासायनिक अभिक्रियाओ के कारण oxygen कार्बन डाई ऑक्साइड का निर्माण करता हैं | जिसे जिसे जंतु छोड़ते हैं | जन्तुओ द्वारा छोड़ी गयी कार्बन डाई ऑक्साइड प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के दोरान पेड़ पोंधो द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं |

 

पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रकाश संश्लेषण होता हैं ?

हमारे सौर मंडल में उपस्थित पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा गृह है जहाँ प्रकाश संश्लेषण की क्रिया हो पाती हैं | इसका सबसे बड़ा कारण हैं पृथ्वी का वातावरण और पृथ्वी पर मोजूद पानी की अधिकता हैं | इसके comparision में दूसरा अभी तक ऐसा कोई गृह नही मिला हैं जिस पर पर्याप्त मात्रा में पानी उपस्थित हो |  और जहाँ थोड़ी बहुत पानी की मात्रा मिली भी हैं लेकिन फिर भी  वहाँ की जल वायु पृथ्वी जैसी नही हैं |  इसलिए हम कह सकते हैं की पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रकाश संश्लेषण होता हैं |

 

 

प्रकाश संश्लेषण में रंगों का क्या कार्य हैं ?

सूर्य के प्रकाश में 7 रंग होते हैं लाल ,नारंगी , पिला , हरा , नीला , जामुनी , बैंगनी तो क्या इन सभी रंगों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बराबर होती हैं | ये एक बहुत ही ज्यादा important प्रश्न हैं | ऐसे नही हैं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया की दर इन रंगों में अलग अलग होती हैं किसी रंग में ज्यादा होती हैं तो किसी रंग में कम होती हैं |  किसी रंग के प्रकाश की उपस्थिति में पोंधे कम समय में ज्यादा भोजन बना लेते हैं तो किसी दुसरे रंग के प्रकाश में पेड़ पोंधे  ज्यादा समय में भी भोजन नहीं बना पाते हैं | लाल तथा नील प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अधिक होती हैं | तथा पीले तथा हरे प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कम होती हैं |

 

 

निष्कर्ष –

दोस्तों यदि आपको हमाये ये पोस्ट प्रकाश संश्लेषण क्या हैं ? पसंद आई हो तो अपने दोस्तों में शेयर जरूर करना और यदि इस टॉपिक से रिलेटेड आपके दिमाग में कोई और प्रश्न हो तो हमें कमेंट सेक्शन में पुच सकते हैं हमारी टीम आपके रिप्लाई जरूर करेंगे धन्यवाद |

 

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