हमारी आज की दुनिया
जैसी हमें आज दिखाई देती हैं क्या हमेशा से ऐसी थी | आज के समय में साईकिल , मोटर
गाड़ी car , राकेट , जहाज ,आदि हमारी life के पार्ट बन चुके है | लेकिन ये हमेशा से
नहीं थे जैसे जैसे साइंस ne ग्रो किया वैसे वैसे दुनिया में changes आने लग गए | लेकिन
क्या आपने कभी सोचा हैं की ये जहाज, राकेट , मोटर गाड़ी के पीछे की साइंस क्या हैं
? नही पता तो आज के इस blog में हम आपके
इसी विषय के बारे में जानकारी देने वाले हैं | हम जानने वाले हैं कि संवेग क्या
होता हैं | संवेग संरक्षण का नियम क्या हैं (संवेग संरक्षण का नियम कक्षा 9) (
संवेग संरक्षण का नियम class 11 ) संवेग संरक्षण के उदाहरण तथा अनुप्रयोग क्या
क्या हैं | इन सभी विषयों पर आज हम चर्चा करने वाले हैं इसलिए इस पोस्ट को पूरा
रीड कीजिएगा |
संवेग किसे कहते हैं इसका
मात्रक क्या हैं |
संवेग संरक्षण का नियम ?
रेखीय संवेग संरक्षण का
नियम ?
न्यूटन की गति का दूसरा
नियम ?
संवेग संरक्षण का नियम
किसने दिया |
संवेग किसे कहते हैं
दैनिक जीवन में हम अनुभव करते हैं कि विभिन्न
द्रव्यमान वाली वस्तुओ में समान बल लगाने पर उनके वेग में समान समान परिवर्तन नही
होता हैं उदाहरण – समान बल लगाने पर भारी वस्तु की अपेक्षा हलकी वस्तु के वेग में परिवर्तन कही अधिक होता है | इसी प्रकार विभिन्न
द्रव्य्मानो की गेंदों को रोकने के लिए भी आवश्यक बल का मान भी भिन्न भिन्न होता
हैं | अर्थात इससे हमें ज्ञात होता हैं कि किसी वस्तु की विराम अथवा गति की अवस्था
में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक बल , वस्तु के द्रव्यमान और वेग दोनों पर निर्भर
करता हैं | अर्थात वह राशि जो गतिशील वस्तु के वेग तथा द्रव्यमान दोनों पर निर्भर
करती है संवेग कहलाती हैं | इसका परिमाण वस्तु के द्रव्यमान और वेग के गुणनफल के बराबर
होता हैं |
संवेग = द्रव्यमान *
वेग
p = mv
यह एक सदिश राशि हैं
|
संवेग का मात्रक ?
संवेग का मात्रक द्रव्यमान
के मात्रक और वेग के मात्रक के गुणनफल के
तुल्य होता हैं | MKS पद्धति में संवेग का मात्रक किलोग्राम –मीटर/ सेकंड हैं या
न्यूटन सेकंड भी कह सकते हैं |
न्यूटन की गति का दूसरा नियम ?
किसी वस्तु के संवेग
परिवर्तन की दर उस पर उस पर आरोपित बल के बराबर होती हैं और इस संवेग परिवर्तन की
दिशा सदेव बल की दिशा में होती हैं |
बल = संवेग में परिवर्तन /
समय परिवर्तन
संवेग संरक्षण का नियम ?
संवेग संरक्षण के नियम के
अनुसार “ किसी बाह्य बल की अनुपस्थिति में दो या दो से अधिक पिण्डो के समुदाय का
सम्पूर्ण रेखीय संवेग नियत रहता हैं” |
P1+p2+p3+p4+p5+………….Pn = नियतांक
रेखीय संवेग संरक्षण
का यह नियम विभिन्न घटनाओ जैसे – संघटन ,विस्फोट , नाभिकीय अभिक्रिया ,
रेडियोएक्टिव क्ष्य में लागू होता हैं
यदि दो विमुक्त
वस्तुओ (1) और (2) पर विचार करे जो परस्पर dt समय के लिए टकराते हैं
| तो माना वस्तु (1) द्वारा (2) आरोपित बल F21 हैं | तथा
वस्तु (2) द्वारा (1) पर आरोपित बल F12 हैं |
न्यूटन के गति के
दुसरे नियम से
F12 = - F21
दोनों वस्तुओ के
संवेग में परिवर्तन होता हैं इसलिए
F12 = dp1/dt
F21 = dp2/dt
F12 = - F21( न्यूटन
के नियम से )
dp1/dt = - dp2/dt
dp1/dt + dp2/dt = 0
dp1 + dp2 = 0
अर्थात संवेग
संरक्षित रहता हैं |
संघट्ट में रेखीय संवेग संरक्षण नियम की व्याख्या
माना कि m1 ,m2 द्रव्यमान के दो पिंड A और B किसी चिकने क्षितिज तल पर एक ही
दिशा में u1 और u2 वेग से चल रहे हैं | कुछ दुरी चलने के बाद ये पिंड आपस में
टक्कराते हैं टक्कराने के बाद दोनों पिंडो का वेग क्रमशः v1 और v2 है |
पिंड A के संवेग में
परिवर्तन dp1 = m1v1 – m1u1
पिंड B के संवेग में
परिवर्तन dp2 = m2v2 – m2u2
टक्कराने के पश्चात् ये दोनों पिंड एक दुसरे पर
बल लगाते हैं | जो की एक अल्प समय अन्तराल dt के लिए लगता हैं | माना कि पिंड A पर पिंड B द्वारा लगाया गया बल
Fab हैं तथा पिंड B पर पिंड A द्वारा
लगाया गया बल Fba हैं |
न्यूटन के गति के
दुसने नियम के अनुसार
Fab = dp1/dt
Fab = (m1v1 – m1u1)/dt
Fba = (m2v2 - m2u2)/dt
न्यूटन के गति विषयक
तीसरे नियम से |
Fab = - Fba
(M1v1 –m1u1)/dt = - (m2v2 – m2u2)/dt
M1v1 –m1u1 = -m2v2 + m2u2
M1u1 + m2u2= m1v1 + m2v2
टक्कर से पूर्व रेखीय संवेग = टक्कर के बाद रेखीय संवेग
संवेग संरक्षण के उदाहरण |
बन्दूक का प्रतिक्षेप वेग
जब बन्दूक से गोली छोड़ी
जाती हैं तो बन्दूक गोली की विपरीत दिशा में गति करती हैं | अर्थात गोली का संवेग तथा बन्दूक का संवेग दोनों
बराबर होते हैं | लेकिन दिशा में विपरीत होने के कारण दोनों संवेगों का योग शून्य
होता हैं
जेट नोदन
जब किसी बंद पात्र
में कोई द्रव या गैस किसी संकीर्ण छिद्र से होकर एक पतली तेज़ धारा के रूप में बाहर
निकलती हैं | तो इस पतली तेज़ धारा को जेट कहते हैं जब कोई द्रव या गैस जेट के रूप
में बाहर निकलता हैं तो उसकी प्रतिक्रिया पात्र पर विपरीत दिशा में होती हैं | अतः
पात्र जेट के विपरीत दिशा में गति करने लगता हैं | इस प्रकार जेट की प्रतिक्रिया
के फलसवरूप किसी वस्तु में गति उत्पन्न होने की प्रक्रिया जो जेट नोदन कहते हैं | अतः
जेट के रूप में निकलने वाली द्रव या गैस का वेग जितना अधिक होगा वस्तु का वेग भी
उतना ही अधिक होगा उदाहरण के लिए यदि हम वायु से भरे गुब्बारे को जिसका मुह ढीला
बंधा हुवा हो जमीन पर रखे तो गुब्बारा पीछे की दिशा में गति करने लगता हैं |
निष्कर्ष
उम्मीद करते हैं कि संवेग
संरक्षण का नियम पोस्ट को आपने पसंद किया होगा इस पोस्ट को अपने दोस्तों में
शेयर करना मत भूलना धन्यवाद .....
1 टिप्पणियाँ
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