हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब
?
उम्मीद करते है की आप सब
अच्छे होंगे
दोस्तों आज की हमारी
पोस्ट है कि पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या होता है ? और ये कैसे काम करता है , इसका
क्या क्या कारण है , इसके अनुप्रयोग क्या क्या है इन सभी विषय के ऊपर आज हम आपको
बताने वाले है लेकिन इससे पहले आपको ये जनना होगा कि परावर्तन होता क्या है ? आज हम
इन सभी विषयो पर बात करने वाले है |
परावर्तन क्या है |
परावर्तन के उदाहरण |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या
होता हैं |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन का
चित्र |
क्रांतिक कोण किसे कहते
हैं |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन की
शर्ते क्या है |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के
उदाहरण |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के
अनुप्रयोग |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के
उपयोग |
पूर्ण परावर्तक प्रिज्म
क्या है
परावर्तन क्या है |
जब प्रकाश की किरण किसी तल
से टक्कराकर वापस उसी माध्यम में लोट आती
है तो use प्रकाश का परावर्तन कहते हैं | प्रकाश के परावर्तन के दो नियम होता है
प्रथम नियम
आपतित किरण , परावर्तित
किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तीनो एक ही तल में होते है
द्वितीय नियम
आपतित किरण तथा अभिलम्ब के
बीच बना कोन आपतन कोन i तथा परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब की बीच बना कोन परावर्तन
कोण दोनों बराबर होते हैं |
प्रकाश के परावर्तन के उदाहरण |
प्रकाश के परावर्तन का सबसे
अच्छा उदाहरण होता है जब हम शीशे में अपने चहरे को देकते है तो हमारे चहरे से
प्रकाश परावर्तित होकर शीशे पर पड़ता है और शीशे से परावर्तित होकर हमारी आँखों में
आती है जिस कारण हमें अपना चहरा शीशे में दिखाई देता है |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या होता हैं |
जब प्रकाश की किसी
किरण को सघन माध्यम से विरल माध्यम में भेजा जाता है तो इसका अल्प भाग परावर्तित
तथा अधिकाँश भाग अपवर्तित हो जाता है अर्थात
अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती है | इस स्थिति में अपवर्तन कोन r आपतन
कोन i से बड़ा होता है |
अब यदि आपतन कोण का
मान धीरे धीरे बढाया जाये तो अपवर्तन कोण का मान भी बढ़ता जाता है तथा एक विशेष
आपतन कोण के लिए अपवर्तन कोण का मान 90
डिग्री हो जाता है | इस आपतन कोण को क्रांतिक कोण कहते हैं |
अब यदि आपतन कोण को
और बढाया जाये अर्थात आपतन कोण कोण क्रांतिक कोण से अधिक किया जाये तो प्रकाश विरल
माध्यम में बिलकुल नही जाता बल्कि सम्पूर्ण सघन मध्यम में लोट आता हैं इस घटना को
प्रकाश को पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं | क्योंकि इसमें प्रकाश का अपवर्तन
बिलकुल नही होता हैं सम्पूर्ण आपतित प्रकाश परावर्तित हो जाता है | इसलिए किसी
पृष्ट किस जिस भाग पर पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता हैं तो वह बहुत अधिक चमकने लगता
हैं |
क्रांतिक कोण किसे कहते हैं |
सघन माध्यम में बना
वह आपतन कोण जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री हो जाये
क्रांतिक कोण कहलाता हैं |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन की शर्ते क्या है |
पूर्ण आंतरिक
परावर्तन होने के लिए निम्नलिखित दो शर्ते होना बहुत जरूरी है
1.
प्रकाश सघन माध्यम से विरल
माध्यम में दाखिल होना चाहिए
2.
आपतन कोण क्रांतिक कोण से
बड़ा होना चाहिए |
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के
उदाहरण |पूर्ण आंतरिक परावर्तन के अनुप्रयोग |
हीरे का चमकना
हीरे से वायु में आने वाली
किरणों के लिए क्रांतिक कोण बहुत कम केवल 24 डिग्री होता हैं अर्थात जब बाहर का प्रकाश
किसी कटे हुवे हीरे में प्रवेश करता हैं तो वह उसके भीटर विभिन्न तलो पर बार बार
परावर्तित होता रहता हैं | जब किसी तल पर आपतन कोण 24 डिग्री से कम हो पाता हैं तब
ही प्रकाश हीरे से बाहर आ पाता हैं इस प्रकार हीरे में सभी दिशाओ में प्रवेश करने
वाले प्रकाश केवल कुछ ही तलो से बाहर निकल पाता है इसलिए हीरे अत्यंत चमकदार दिखाई
देता हैं |
रेगिस्तान में मरीचिका का दिखाई देना
कभी कभी रेगिस्तान में
यात्रियों को दूर से पेड़ के साथ साथ उसका उल्टा प्रतिबिम्ब भी दिखाई देता हैं अतः
इन्हें ऐसा भ्रम हो जाता हैं की वह कोई जल का तालाब है जिसमे पेड़ का उल्टा
प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा हैं परन्तु वास्तव में वहा कोई तालाब नही होता हैं |
जब सूर्य की गर्मी से
रेगिस्तान का रेत गर्म होता हैं तो use छूकर पृथ्वी के पास की वायु अधिक गर्म हो
जाती हैं इससे कुछ ऊपर तक वायु की परतो का ताप लगातार घटता जाता हैं अतः वायु की
नीचे वाली परते अपेक्षाकृत विरल हो जाती हैं जब पेड़ से प्रकाश किरने पृथ्वी की और
आती हैं तो उन्हें अधिकाधिक विरल परतो से होकर आना पड़ता हैं |
इसलिए प्रत्येक परत पर
अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती हैं अतः प्रत्येक अगली परत पर आपतन कोण
बढ़ता जाता हैं तथा किसी विशेष परत पर क्रांतिक कोण से बड़ा होता हैं इस परता पर
किरण पूर्ण परावर्तित होकर ऊपर की और चलने लगती हैं चूँकि ऊपर वाली परते अधिकाधिक
सघन हैं अतः ऊपर उठती हुई किरण अभिलम्ब की और झुकती जाती हैं | जब यह किरण किसी
यात्री की आँखों में पड़ती हैं तो use ये किरने पृथ्वी के नीचे से आती हुई प्रतीत
होती हैं | तथा यात्री को पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई देता हैं |
ठन्डे देशो में मरीचिका
बहुत ठन्डे देशो में
समुन्द्र पर अथवा बर्फ के क्षेत्रो में दूर की वस्तुओ के प्रतिबिम्ब वायु में उलटे
लटके दिखाई देते हैं इसका कारण यह हैं की जल तथा बर्फ में लगी वायु की परते ठंडी
होने के कारण सघन हो जाती हैं और ऊपर की परते विरल हो जाती हैं अतः समुन्द्र के जल
पर तैरते जहाज से चली किरने ऊपर की और जाते हुए वायु की परतो पर अपवर्तित होकर
अभिलम्ब से दूर हटती जाती हैं और किसी विशेष परत पर पूर्ण परावर्तन की पश्चात्
नीचे आने लगती हैं जब ये किरने व्यक्ति की आँख पर पहुचती हैं तो use जहाज का उल्टा
प्रतिबिम्ब ऊपर वायु में लटका हुवा दिखाई देता हैं |
कांच में पड़ी दरारों का
चमकना |
जब खिड़की में लगा कांच चटक
जाता हैं तो उसमे दरारे पड़ जाती हैं जिनमे वायु की पतली परत आ जाती हैं ये दरारे
देखने पर चमकती दिखाई देती हैं इसका कारण यह हैं की इन दरारों पर पड़ने वाला टेढ़ा
प्रकाश वायु की परत में नहीं जाता बल्कि कांच वायु के सीमा पृष्ट से पूर्ण
परावर्तित होकर आँख में पहुच जाता हैं इसी प्रकार यदि कांच अथवा जल के भीतर वायु
का कोई बुलबुला हो तो वह भी बहुत अधिक चमकीला दिखाई देता हैं |
प्रकाशिक तंतु |
प्रकाशिक तंतु पूर्ण आंतरिक
परावर्तन पर आधारित वह युक्ति है जिसकी
सहायता से एक प्रकाशिक सिग्नल को एक स्थान से दुसरे स्थान पर बिना उर्जा ह्रास के भेजा जाता हैं |
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